Chhath Puja 2023: जानें छठ पूजा में खरना का क्या है महत्व

Chhath Puja
Kharna Puja Significance Expert tips

(chhath puja 2023 kharna significance) दिवाली के छह दिन बाद Chhath Puja का महापर्व पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार बिहार,यूपी, झारखंड, बंगाल, में विशेष मनाई जाती है। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व शक्ति और आस्था का प्रतीक है।

छठ पूजा का महापर्व सूर्यदेव और षष्ठी माता को समर्पित है। इस दिन संतान के स्वास्थ्य, दीर्घायु के लिए महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। वहीं छठ पूजा की शुरूआत नहाय खाय के साथ खरना से होती है। वहीं महापर्व का खरना का विशेष महत्व बताया गया है।

आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि छठ पूजा के दिन खरना का क्या महत्व है।

महापर्व Chhath Puja में खरना का महत्व

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Chhath Puja में भगवान सूर्य (सूर्यदेव मंत्र)और छठी माता की उपासना की जाती है। इस दिन ऐसी मान्यता है कि दो इस महापर्व को 36 घंटे बिना अन्न और जल के साथ पूरे नियमों का पालन करते हुए आराधना करता है। उसे संतान सुख, बेहतर स्वास्थ्य और सूर्य के भांति तेज और बल प्राप्त होता है।

वहीं माता छठी की पूजा करने से बच्चों पर आने वाले सभी संकट का नाश हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके आरंभ किया था। छठ पूजा में घंटों पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य की आराधना की जाती है।

मन की शुद्धता के लिए खरना पूजा

Chhath Puja में व्रती महिलाएं मन की शुद्धता के लिए खरना पूजा करती हैं। इस दिन मानसिक तौर पर 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत के लिए स्वयं को तैयार करती हैं। खरना के दिन महिलाओं व्रत रखती हैं और छठी माता के लिए प्रसाद बनाती हैं। प्रसाद बनाने के बाद सबसे पहले व्रती महिलाएं खाती हैं। इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों को बांटा जाता है। इस दिन सूर्यदेव (सूर्यदेव स्तोत्र) की विधिवत पूजा की जाती है।

खरना का प्रसाद कैसे बनता है?

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खरना के दिन गुड़ की खीर बनाने की विशेष परम्परा है। इस दिन व्रती महिलाएं संध्या में मिट्टी के नए चुल्हे पर गुड़ की खीर और रोटी बनाकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। खरना के दिन ही Chhath का महाप्रसाद ठेकुआ, खजूड़ और अन्य चीजें बनाई जाती है। खरना बेहद कठिन माना जाता है। ऐसा कहा जाता है, जो महिलाएं इस महापर्व के कठिन व्रत को पूरे नियम के साथ करती हैं। उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है और उनके परिवार के सदस्यों पर कभी किसी प्रकार की कोई मुसीबत नहीं आती है।

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